एहसासों के बीच
खामोशी क्यों ये छाई है
सवालो के घेरे में
वही रात आई है.
चुप है जुबान
कहती बहुत कुछ आंखे है
थमी हुई से धड़कने
सहमी हुई सी ये सांसे है....
क्या शिकवा शिकायत
किस से करे
रूठ के अपनों से
भला हम कैसे जीये......
हार कर अपना दिल
लुटा दिया ये जहाँ सारा
मगर आज इस मज्दह्र में
न दिल रहा न कोई सहारा......
वफ़ा हम ने की
पर बेवफा वो बी न थे
फिर क्यों ये मोड़ आया की
हम उन के और वो हमारे न रहे......
एहसासों के बीच
खामोशी क्यों ये छाई है
सवालों के घेरे में
फिर वाहे रात आयी है.......
Hii Jaya..wah tu to kavi ban gayi yaar nice thoughts.
ReplyDeletethank you rajputji
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