Monday, October 26, 2009

banjaro

बंजारों की भूमी है ये मरुधर
कब यहाँ कोई टिक पिएगा
जब मिलेगी नयी उमीदें
वहीँ ये रास्ता छोड़ जायेगा
हम कौन तुम्हरे, तुम कौन हमारे
सारे नामो निशा, पीछे छूट जायेगा
बंजारों की भूमी है ये मरुधर
कल कोई और आएगा
फिर नयी ज़िन्दगी बसायेगा...........

marudhar

मरुधर लगता कितना सुखा सा
फिर भी लेकर जीवन के हर रूप
हर रोज़ नया रंग तुझको मुझको
हर कदम पर दिखाता रहा.
हाल क्या बयां कर्रे मरुधर
कठोर बन, सिखाने कुछ ख़ास तुझको मुझको
की जीना यू तो आसन नहीं
पर अम्रुधर में जो जी गया
उस ने जीवन का अमृत है पाया

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