Monday, October 26, 2009

marudhar

मरुधर लगता कितना सुखा सा
फिर भी लेकर जीवन के हर रूप
हर रोज़ नया रंग तुझको मुझको
हर कदम पर दिखाता रहा.
हाल क्या बयां कर्रे मरुधर
कठोर बन, सिखाने कुछ ख़ास तुझको मुझको
की जीना यू तो आसन नहीं
पर अम्रुधर में जो जी गया
उस ने जीवन का अमृत है पाया

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